इस मानसून में प्राकृतिक उपचार के साथ समय पर निवारक उपाय की मदद से डेंगू को मात दें : डॉ सिसिर पॉल

मधुर रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ सिसिर पॉल ने डेंगू बुखार के सभी पहलुओं के साथ–साथ उसके लक्षणों एवं उसके प्राकृतिक उपचार के बारे में जानकारी दी।

दिल्ली. बरसात के इस मौसम में डेंगू बुखार अपने चरम पर है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाली एक वेक्टर जनित बीमारी है। यदि निवारक उपायों पर समय पर अमल किया जाए तो प्राकृतिक उपचारों के जरिए इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है और कोई भी व्यक्ति इस बीमारी से पूरी तरह से उबर सकता है।

इससे संक्रमित होने वाले लोगों में संक्रमण के तीन से चौदह दिनों के बाद डेंगू के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। दूसरी ओर, वायरस से संक्रमित कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। रोगियों को जो कुछ सबसे आम लक्षण होते हैं उनमे शामिल हैं : तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और त्वचा में खास तरह के रैशेज। इनके अलावा, मरीज़ों में सूजन वाली ग्रंथियाँ, तेजी से साँस लेने, सुस्ती और आँखों में दर्द जैसी समस्याएं भी होती है। जांच करने पर रक्त प्लेटलेट काउंट में भी कमी पाई जाती है।

डॉ़ पॉल ने बताया, “बच्चों में बुखार आम तौर पर एक दिन के लिए कम हो जाता है लेकिन फिर दोबारा हो जाता है। इस पैटर्न को सैडलबैक फीवर कहा जाता है। एक और दो दिनों के अंतराल के बाद दूसरी बार रैशेज हो सकता है, जो एक से पांच दिनों तक रह सकता है। यह हथेलियों और तलवों में फैलता है, और अक्सर ठीक हो जाता है।

बच्चों और किशोर डेंगू बुखार के हल्के अटैक होने पर कोई संकेत या लक्षण अनुभव नहीं कर सकते हैं। आम तौर पर, संक्रमण के कारण तेज बुखार होता है जो 104 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ सकता है जिसके साथ सिरदर्द, मांसपेशियों, हड्डी या जोड़ों में दर्द भी होता है।”

व्यक्ति को डेंगू बुखार या डीएचएफ (डेंगू हेमोरेजिक फीवर) के लक्षण हो सकते हैं, या उनमें कोई लक्षण नहीं भी हो सकते हैं। यदि कोई मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो लगभग एक सप्ताह के बाद यह स्वस्थ व्यक्ति को काटकर उसे वायरस से संक्रमित कर सकता है। डेंगू इंसानों से सीधे संचारित नहीं हो सकता है।

डॉ पॉल ने आगे कहा, “अगर मामूली डेंगू बुखार हो तो उसका उपचार करने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे डिहाइड्रेशन को रोका जा सकता है। जबकि सिर दर्द और डेंगू से संबंधित शरीर के अन्य दर्द को दर्द निवारक दवाइयों के द्वारा कम किया जा सकता है। लेकिन दर्द से राहत पाने के लिए एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी दवाइयां लेने से बचना चाहिए।

डेंगू के अधिकतम मामलों में, बुखार एक या दो दिन में बिना कोई प्रभाव पैदा किए कम हो जाता है। यदि लक्षण एक या दो दिनों में बुखार के बाद बिगड़ते हैं, तो यह डीएचएफ का संकेत हो सकता है और ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।

उपचार के जल्द शुरू हो जाने पर मरीज को इंट्रावेनस (IV) तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स (लवण) दिए जाते हैं और इससे उल्टी या दस्त के कारण पानी की कमी की भरपाई होती है। अधिक गंभीर मामलों में डॉक्टर रक्त चढाने का विकल्प चुन सकते हैं।

बच्चों के बारे में खास तौर पर बात करते हुए, डॉ पॉल कहते हैं, “संक्रमण को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है लेकिन संक्रमित मच्छरों के काटने से बचाव ही इसका सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, डेंगू के मरीज को मच्छर के काटने से बचाना चाहिए क्योंकि यह अन्य लोगों को काट कर संक्रमित कर सकता है।”

सरल उपचार विधियां प्रभावी रूप से मच्छर के काटने से बचाने और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करने में मदद कर सकती हैं – इसके लिए काफी अधिक पानी का सेवन करना चाहिए और इससे मरीज को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिलती है क्योंकि इसमें अत्यधिक पसीना निकलता है और थकावट होती है। इसके अलावा, यह सिरदर्द और मांसपेशियों में ऐंठन से भी छुटकारा दिलाता है। यह विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद करता है।

पपीते के पत्ते के जूस में विटामिन सी की अधिक मात्रा के साथ– साथ पोषक तत्व और कार्बनिक यौगिक भी होते हैं जो प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करते हैं। ये पत्तियां प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट तनाव को कम करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं।

तुलसी के पत्ते व्यक्ति की संपूर्ण प्रतिरक्षा में सुधार करते हैं। इसमें प्राकृतिक कीटनाशक गुणों वाले आवश्यक तेल होते हैं जो मच्छरों को दूर रखते हैं।

नीम के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, जिन्हें प्लेटलेट और सफेद रक्त कोशिका की गिनती बढ़ाने के लिए जाना जाता है। उचित रूप से पीसे हुए नीम के पत्ते भी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करते हैं।

चूंकि संतरे एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन से भरपूर होते हैं, इसलिए यह प्रतिरक्षा प्रणाली में एंटीबॉडी को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, इसमें विटामिन सी होता है जो कोलेजन बनाने में महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, संतरे का रस इसका सेवन करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

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